Heart
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गुरूर ब्रम्‍हा गुरूर विष्‍णु गुरूर देवो महेश्‍वर: गुरू: साक्षात्‍परब्रहृा तस्‍मै श्री गुरूवे नम:

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कर्ता करे न कर सकै, गुरू करै सो होय, तीन लोक नौ खंड में, गुरू से बड़ा न कोय । अर्थात् इस संसार में गुरू से बड़ा कोई नहीं

प्रथम गुरू- मॉं जिसने हमें जन्‍म दिया द्वितीय गुरू- धरती मॉं जिस पर हम पले बढ़े तृतीय गुरू- पिता जिसकी उगली थामी चतुर्थ गुरू- शिक्षक, जिनसे हमें ज्ञान मिला पंचम गुरू- आध्‍यात्‍मिक, जिनकी हमें कृपा मिली

ये पाँच गुरू के आ‍र्शीवाद से हमारा जीवन सफल है सभी के जीवन में गुरू का हो आवश्‍यक है इनके बिना हमारा जीवन निरर्थक है।