सिकल सेल एनीमिया किसे कहते है? (Sickle Cell Anemia)लक्षण,कारण,इलाज,उपचार और परहेज जानें

Sickle Cell Anemia kya hai. सिकल सेल कई बिमारियों का एक समूह है जो खून में मौजूद हीमोग्‍लोबिन को प्रभावित करता है। हीमोग्‍लोबिन शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्‍सीजन पहुंचाने का काम करता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है जो बच्‍चे को अपने माता-पिता से मिलती है। इसमें हीमोग्‍लोबिन के असामान्‍य अणु जिन्‍हें हीमोग्‍लोबिन एस कहते हैं वे लाल रक्‍त कोशिकाओं (RBC) को रूप बिगाड़ देते हैं जिससे वह सिकल या हंसिया (अर्धचन्‍द्राकार) शेप का हो जाता है। लाल रक्‍त कोशिकाएं या (RBC) जो स्‍वस्‍थ होती हैं उनका शेप गोलाकार होता है और वे छोटी-छोटी रक्‍त धमनियां से भी आसानी से गुजर जाती हैं जिससे शरीर के हर एक हिस्‍से और कोने तक ऑक्‍सीजन आसानी से पहुंचता है।

सि‍कल सेल,सामान्‍य लाल रक्‍त कोशिआओं की तुलना में कम लचीला होती हैं और चूंकि उनका रूप हंसिया जैसा हो जाता है,इस कारण वे छोटी-छोटी रक्‍त धमनियों से होकर गुजर नहीं पातीं और गुजरने की प्रक्रिया के दौरान टूट जाती है। कई बार तो छोटी रक्‍त धमनियां से गुजरने के दौरान ये सिकल सेल वहां फंस जाती हैं और रक्‍त संचार में रूकावट पैदा करती हैं। इस कारण व्‍याक्ति को तेज दर्द महसूस होता है और कई गंभीर बीमरियां जैसे- इंफेक्‍शन,स्‍ट्रोक या एक्‍यूट चेस्‍ट‍ सिंड्रोम होने का खतरा रहता है। इसके अलावा सिकल सेल बीमारी से पीडि़त मरीज को हडियों और जोड़ो के क्षतिग्रस्‍त होने, किडनी डैमेज होने,दष्टि संबंधी समस्‍याएं होने और प्‍यूबर्टी आने में देरी जैसी दिक्‍कतों का भी सामना करना पड़ता है।

विशेष टिप्‍पणी-

अतीत में सिकल सेल एनीमिया के साथ पैदा हुए बच्‍चे शायद ही कभी वयस्‍क होते थे। अब शुरूआत पहचान और नए उपचारों के लिए हमें शोधकर्ताओं और चिकित्‍सकों का धन्‍यवाद देना चहिए, हालंकि, सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त सभी लोगों में से लगभग आधे लोग 50 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं। जिन लोगों को सिकल सेल एनीमिया है, वे अभी भी (उम्र भर) संभवित जानलेवा चिकित्‍सा जटिलताओं का सामना करते हैं। हांलकि, स्‍वास्‍थ सेवा प्रदाताओं के पास ऐसे उपचार हैं जो जटिलताओं के जोखिम को कम करते हैं और जब वे होते हैं जो लक्षणों को कम करते हैं। दुर्भाग्‍य से, दुनिया में ऐसे कई स्‍थान हैं जहां अभी भी सिकल सेल एनीमिया के लिए प्रभावी चिकित्‍सा उपचार तक लोगों की पहुंच नहीं है।

सिकल सेल एनीमिया का इतिहास

शिकागो के हृदय रोग विशेषज्ञ और औषधी प्रोफेसर जेम्‍स बी.हैरिक (1861-1954) द्वारा 1910 में सिकल सेल के स्‍पष्‍टीकरण तक नैदानिक निष्‍कर्षों का यह संकलन अज्ञात था, जिनके प्रशिक्षु अर्नेस्‍ट एडवर्ड आाइरन्‍स (1877-1959) ने वॉल्‍टर क्‍लेमेंट नोएल, के रक्‍त में अजीब लंबाई और सिकल-आकार की कोशिकाओं को पाया जो कि ग्रेनाडा से 20 साल का दंत छात्र था, उसके बाद नोएल के रक्‍ताल्‍पता से पीडित होने के बाद 20 दिसंबर को शिकागो प्रेस्बिटेरियन अस्‍पताल में भर्तीं कराया गया था।

नोएल को अगले तीन सालों में “पुटठे का गठिया” और “पित्‍तदोष आक्रमण” के लिए कई बाद‍ फिर से भर्ती कराया गया, नोएल ने अपनी पढ़ाई पूरी की और दंत चिकित्‍सा का अभ्‍यास करने के लिए ग्रेनेडा की राजधानी (सेंट जॉर्ज) को लौटे, 1916 में निमोनिया से उसकी मृत्‍यु हो गई है और ग्रेनेडा के उत्‍तर सौटियर्स के कैथोलिक कब्रिस्‍तान में उसे दफनाया गया।

1922 में वर्नोन मेसोन द्वारा इस रोग को सिकल सेल एनीमिया नामित किया गया

सिकल सेल एनीमिया का अनुसंधान

सिकल सेल एनीमिया रोग के एपिसोड के साथ-साथ उसकी जाटिलताओं को रोकने के लिए विभिन्‍न दष्टिकोणों को तलाशा जा रहा है। हीमोग्‍लोबिल को स्विच करने और संशोधित करने के अन्‍य तरीको की जांच की जा रही है जिसमें निकोसन जैसे अन्‍य हाइटोकेमिकल्‍स का इस्‍तेमाल शामिल है। जीन उपचार की जांच की जा रही है।

सिकल सेल एनीमिया का कारण

सिकल सेल एनीमिया वाले लोगों को यह बीमारी उनके जैविक माता-पिता (Biological Parents) से विरासत में मिलती है। सिकल सेल एनीमिया में, जीन जो सामान्‍य लाल रक्‍त कोशिकाओं को बदलने में मदद करता है। जिन लोगों को जैविक माता-पिता दोनों से उत्‍परिवर्तन हीमोग्‍लोबिन प्रोटीन जीन (Mutated Hemoglobin Protein Gene) विरासत में मिलता है, उन्‍हें सिकल सेल एनीमिया होता है। जो लोग एक जैविक माता-पिता से उत्‍परिवर्तन जीन (Mutated Gene form Parent) प्राप्‍त करते हैं, उनमें सिकल सेल विशेषता होती है।

सिकल सेल एनीमिया के प्रकार

  1. सिकल सेल हीमोग्‍लोबिन-सी हिजीज :- जिन लोगों को सिकल हीमोग्‍लोबिन-सी हिजीज होती है उन्‍हें माता-पिता में से किसी एक से सिकल सेल जीन प्राप्‍त होता है और दूसरे पैरंट से असामान्‍य हीमोग्‍लोबिन सी । यह सिकल सेल बीमारी का हल्‍का रूप माना जाता है।
  2. सिकल बीटा-प्‍लस थैलसीमिया:- इसमें बीमार व्‍याक्ति एक सिकल सेल जीन(हीमोग्‍लोबिन) अपने एक पैरंट से प्राप्‍त करता है और दूसरे पैरंट से बीटा थैलसीमिया (एनीमिया एक और प्रकार) का एक जीन बीटा थैलसीमिया भी दो तरह का होता है जीरो और प्‍लस सिकल बीटा प्‍लस थैलसीमिया सिकल सेल बीमारी का हल्‍का रूप माना जाता है।
  3. सिकल बीटा-जीरो थैलसीमिया:- जिन लोगों को सिकल बीटा-जीरो थैलसीमिया होता है उन्‍हें सिकल सेल बीमारी का गंभीर रूप माना जाता है।

सिकल सेल एनीमिया के लक्षण

सिकल सेल बीमारी जन्‍म के तुरंत बाद से जब बच्‍चा नवजात होता है तभी से उसके शरीर में मौजूद होती है। हांलाकि नवजात शिशु जब तक 5 या 6 महीने का नहीं हो जाता उसमें बीमारी के लक्षण जीवन के शुरूआती दिनों में ही नजर आने लगते है । लेकिन कुछ मामलों में जीवन के बाद के सालों में दिखते हैं।

सिकल सेल एनीमिया बीमारी के शुरूआती लक्षण

  • जॉन्डिस या पीलिया
  • आंखों का पीलापन जो लाल रक्‍त कोशिकाओं के क्षतिग्रस्‍त होने के कारण होता है
  • एनीमिया की वजह से ज्‍यादा थकान महसूस होना
  • डैक्‍टलाइटिस जिसमें हाथ और पैर में सूजन हो जाती है और फिर दर्द भी होने लगता है
  • चक्‍कर आना या सिर घूमना
  • सांस लेने में मुश्किल महसूस होना
  • चिड़चिड़ापन महसूस होना
  • किसी चीज पर ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत आना

सिकल सेल एनीमिया के बाद में दिखने वाले लक्षण

  • शरीर के किसी खास हिस्‍से में बेहद तेज दर्द होना खासकर एक से ज्‍यादा स्‍पॉट पर क्‍योंकि खून के जरिए शरीर के उस हिस्‍से को ऑक्‍सीजन की पूर्ति सही तरीके से नहीं हो पाती है।
  • बीमारी से पीडि़त किशोर उम्र के बच्‍चे या वयस्‍कों को लंबे समय तक दर्द का सामना करना पड़ता है।

सिकल सेल एनीमिया का इलाज

सिकल सेल एनीमिया से पीडित सभी लोगों के लिए एक ही तरह का इलाज मौजूद नहीं है। इलाज का विकल्‍प हर मरीज के लिए अलग होता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्‍याक्ति में बीमारी के लक्षण कैसे है-

हल्‍के या गंभीर। सिकल सेल एनीमिया बीमारी के इलाज मे खून चढ़ाना पडता है और कई बार मैरो या स्‍टेम सेल ट्रांसप्‍लांट भी करवाने की जरूरत पड़ती है।

बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट सिकल सेल बीमारी का एकमात्र इलाज मौजूद है। लेकिन यह बेहद कठिन और जोखिम से भरी प्रक्रिया है जिसके कई साइड इफेक्‍ट्स भी होते हैं और कई बार मरीज की मौत भी हो सकती है। बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट सही तरीके से काम करे इसके लिए बेहद जरूरी है कि डोनर,मरीज का भाई या बहन हो ताकि बोर मैरो बेहद नजदीकी हो

फिलहाल वैज्ञनिक सिकल सेल एनीमिया बीमारी के इलाज के लिए जीन थेरेपी पर अध्‍ययन कर रहे हैं जिसके तहत डॉक्‍टर उस असामान्‍य जीन को बदलकर इस बीमारी का इलाज कर पांएगे इलाज के दौरान इन तरीको को फॉलो करें।

  • बचपन में शिशु को लगने वाले सभी टीकों के अलावा सिकल सेल एनीमिया बीमारी से पीडि़त किशोर बच्‍चों को न्‍यमोकॉकल,फ्लू और मेनिंगोकॉकल का टीका लगवाना चहिए।
  • फोलिक एसिड सप्लिमेंट्स का सेवन करना तकि शरीर में नई लाल रक्‍त कोशिकाएं बनती रहें।
  • खूब सारा पानी पीते रहना ताकि दर्द से बचा जा सके और अचानक से तापमान में बहुत ज्‍यादा बदलाव होने से बचें।
  •  एनालजेसिक या दर्दनिवारक दवाइयां दी जाती हैं ताकि गंभीर दर्द से बचा जा सके।

सिकल सेल एनीमिया का परीक्षण

सिकल सेल एनीमिया बीमारी को आमतौर पर प्रेगनेंसी या फिर बच्‍चे के जन्‍म के समय डायग्‍नोज किया जाता है। आपको यह बीमारी होने का खतरा भी सबसे अधिक होता है अगर आपके परिवार में किसी को यह बीमारी होने का इतिहास हो । सिकल सेल डिजीज की पहचान और डायग्‍नोसिस करने के लिए निम्‍ननिखित टेस्‍ट किए जाते है।

  •  ब्‍लड टेस्‍ट
  • हीमोग्‍लोबिन इलेक्‍ट्रोफोरेसिस टेस्‍ट ताकि असामान्‍य हीमोग्‍लोबिन की जांच की जा सके।
  • यूरिन की जांच तकि किसी तरह के छिपे हुए इंफेक्‍शन का पता चल सके
  • छाती का एक्‍स-रे ताकि छिपे हुए निमोनिया का पता चल सके।

सिकल सेल एनीमिया के बचाव

  • ज्‍यादा गर्मी या घूप मे बारह न निकलें
  • ज्‍यादा ऊंचाई वाले पहाडों और हिल स्‍टेशन पर न जाएं।
  • ज्‍यादा ठंडी में बाहर न निकलें।
  • ज्‍यादा तकलीफ हो जो घरेलू उपचार न करते हुए अस्‍पताल में डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें।

सिकल सेल एनीमिया के परहेज

सिकल सेल एनीमिया रोगी को बहुत कठिन व्‍यायाम से बचें और सिकल सेल पीडित लोगों को सक्रिय रहना चहिए, लेकिन तीव्र गतिविधियॉं जिनके कारण आपकी सांसे गंभीर रूप से फूलने लगती हैं, उनसे बचना सबसे अच्‍छा है। शराब और धूम्रपान से बचें शराब से आप निर्जलित हो सकते हैं और धूम्रपान से फेफड़ों की गंभीर स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है जिसे एक्‍यूट चेस्‍ट सिंड्रोम कहा जाता है।

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