लिपिड प्रोफाइल टेस्‍ट क्‍या हैं ( Lipid Profile Test )

Lipid Profile Test kya hai. पहले की तुलना में लोग अब सेहत को लेकर अधिक जागरूक हो रहे है। इसके चलते न केवल डॉक्‍टरी सलाह को गंभीरता से लेते हैं बल्कि कुछ लोग तो बिना डॉक्‍टरी सलाह के ही खुद की जांचे करवा लेते हैं। लेकिन कई बार न केवल गलत और गैर जरूरी जांचें करवा लेते हैं बल्कि कई बार जांच के लिए जब सैंपल देते हैं तो उन्‍हें पता नहीं होता है कि सैंपल देने से किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए। आजकल सबसे ज्‍यादा लिपिड प्रोफाइल को लेकर समस्‍या आ रही है

लिपिड प्रोफाइल टेस्‍ट

 लिपिड प्रोफाइल की जांच शरीर में कोलेस्‍ट्राल की मात्रा चेक करने के लिए होती है। इसमें पता चलता है कि खून में कितना फैट यानी वसा है। वसा में मुख्‍य रूप से कोलस्‍ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स होता है। ये फैट कोशिकाओं की हैल्‍थ के लिए जरूरी है। खराब खून की धमनियों को ब्‍लॉक करता, उसमें सूजन का कारण बनता है। इससे हृदय की क्षमता घटती है। हार्ट से संबधित बीमारियों की आशंका बढ़ती है। लिपिड प्रोफाइल से इसकी पहले पहचान होती है।

इसमें क्‍या जांच होती है

इसमें टोटल कोलेस्‍ट्राल,एलडीएल यानी बैड कोलेस्‍ट्राल, एचडीएल यानी गुड कोलेस्‍ट्राल, ट्राइग्लिसराइड्स,वीएलडीएल लेवल,नॉन-एचडीएल कोलेस्‍ट्राल के बीच का अनुपात देखते हैं।

किस टेस्‍ट का क्‍या अर्थ होता है

लिपिड प्रोफाइल टेस्‍ट में मुख्‍य रूप से टोटल कोलेस्‍ट्राल,एलडीएल,एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स का महत्‍व होता है । अन्‍य जांच इन्‍हें सपोर्ट करती हैं।

  • गुड कोलेस्‍ट्राल : यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यह खून की धमनियां में जमे पदार्थों की सफाई करता है। इसकी अधिक मात्रा सेहत  के लिए अच्‍छी होती है।
  • बैड कोलेस्‍ट्राल : हृदय रोगों के पीछे इसी कोलेस्‍ट्राल की भूमिका होती है क्‍योंकि यह खून की धमनियों को गंदा करता है। ब्‍लॉकेज करता है। इसकी जितनी मात्रा कम है, सेहत के लिए अच्‍छा है।
  • वीएलडीएल : यह भी एक प्रकार बैड कोलेस्‍ट्राल है। ये प्‍लैक बनाता है और ट्राइग्लिसराइड्स को भी साथ रखता है। इससे भी हृदय रोगों का जोखिम बढ़ता है।
  • ट्राइग्लिसराइड्स : इसकी थोड़ी मात्रा जरूरी है लेकिन ज्‍यादा मात्रा ध‍मनियां की दीवार को कठोर करती है। इससे धमनियों में कड़ापन होता है। इसकी अधिकता से हार्ट हिजीज की आशंका बढ़ती है।
  • नॉन- एचडीएल कोलेस्‍ट्राल : गुड कोलेस्‍ट्राल को छोड़कर जितने भी कोलेस्‍ट्राल होते हैं उसे नॉन एलडीएल कोलेस्‍ट्राल कहते हैं। टोटल कोलेस्‍ट्राल- एलडीएच = नॉन – एलडीएल कोलेस्‍ट्राल है।
  • टोटल कोलेस्‍ट्राल : इसमें कुल कोलेस्‍ट्राल की गणना होती है यानी एचडीएल + एलडीएल + 20 प्रतिशत ट्राइ ग्लिसराइड्स।

जांच करवाले से पहले

टेस्‍ट से पहले10-12 घंटे कुछ न खाएं यानी खाली पेट ही टेस्‍ट कराएं। इसे खाली पेट सुबह- सुबह कराएं। ऐसा करने से रिपोर्ट सही आती है। खाना खाने के बाद टेस्‍ट से ट्राइग्लिसाइड्स गड़बड़ आ सकता है। टेस्‍ट से पहले चाय- काफी आदि बिल्‍कुल ही न लें। एक दिन पहले रात में किसी प्रकार का नशा या हैवी डाइट न लें।

रिपोर्ट दिखाना क्‍यों जरूरी

डॉक्‍टर को रिपोर्ट दिखाने से न केवल सही जानकारी मिलती है बल्कि खुद को भी भरोसा होता है। आगे की रणनीति का भी पता चलता है।

हाई रिस्‍क ग्रुप

फैमिली हिस्‍ट्री, वजन ज्‍यादा है, अल्‍कोहल- सिगरेट की आदत,खराब जीवनशैली, बीपी ,शुगर या किडनी रोगी हैं तो 30 की उम्र से जांच कराएं।

40 के बाद रूटीन टेस्‍ट

इसी उम्र के बाद शरीर में नए सेल्‍स कम संख्‍या में बनते हैं जिससे कुछ बीमारियों जैसे शुगर, ब्‍लड प्रेशर और हार्ट हिजीज की आशंका बढ़ती है। वहीं महिलाओं में मेनोपॉज का समय होता है। इससे उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसलिए डॉक्‍टर रूटीन टेस्‍ट की सलाह देते हैं।

लिपिड प्रोफाइल बढ़ा है तो उसके क्‍या मायने हैं

  • जिसका लिपिड प्रोफाइल बढ़ा हुआ है तो उसको हार्ट अटैक की आशंका को कई गुना बढ़ा देता है। बैड कोलेस्‍ट्राल आर्टरीज में जमा होने से ब्‍लॉकेज की आशंका रहती है।
  • ब्‍लड फ्लो में रूकावट से दिल,दिमाण्‍,किडनी और शरीर के निचले हिस्‍सों पर भी असर पड़ता है।
  • हाई कोलेस्‍ट्राल आंखो की नसों को भी प्रभवित करता है। पलकों पर फैट जमने लगती है।
  • लिपिड,फैट जैसा पदार्थ है, जो शरीर के लिए ऊर्जा का स्‍त्रोत है। यह ब्‍लड व टिश्‍यूज में जमा होता है और हमारे शरीर की सही कार्य प्रणाली के लिए बेहद जरूरी भी होता है।

लिपिड प्रोफाइल टेस्‍ट का चार्ट

 टोटल कोलेस्‍ट्रालनॉन-एचडीएल कोले.     एलडीएलएचडीएलट्राइग्सिराइड्स
नॉर्मल कोलेस्‍ट्राल 120 से नीचे130 से नीचे100 से नीचे60 से ज्‍यादा150 से नीचे
रिस्‍क में-बॉर्डरलाइन 200-240  130-200100-159 40-60 150-200
खतरनाक स्‍तर पर  240 से ज्‍यादा   200 से ज्‍यादा 160 से ज्‍यादा  40 से नीचे  200-400

रूटीन टेस्‍ट क्‍यों जरूरी

  • गंभीर और जानलेवा बीमारियों का जल्‍दी पता लग जाता है।
  • बीमारी के गंभीर होने का जोखिम बहुत कम हो जाता है।
  • बीमारी का जल्‍द पता लगाने पर इलाज और उपचार में मदद मिलती है।
  • मौजूदा स्थितियों की बारीकी से निगरानी कर जटिलाओं के जोखिम को सीमित किया जा सकता है।
  • महंगी चि‍कित्‍सा सेवाओं से बचकर स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की लागत को कम किया जा सकता है।

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