Julius Robert Oppenheimer kon the ( जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर कौन थे )

भगवदगीता से मिला था परमाणु बम के जनक ओपेनहाइमर को जीवन का सूत्र जानें कैसें

Julius Robert Oppenheimer –

गीता के संदेशों में जीवन का सार समहित है। भारत ही नहीं कई विदेशी हस्तियां भी इससे प्रेरणा पाती हैं। परमाणु बम के जनक और अमरीकी भौतिक विज्ञानी जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने उस वक्‍त भगवद गीता के दर्शन में जीवन के सूत्र तलाशे जब अपने ही आविष्‍कार से विध्‍वंस होते देखा। 1945 में हिरोशिमा व नागासागी में परमाणु बम हमले में 2 लाख से ज्‍यादा लोग मारे गए थे। ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित फिल्‍म आने वाले दिनों में रिलीज होगी, जिसका कथानक इसी विषय के इर्द-गिर्द बुना गया है।

ओपेनहाइमर दितीय विश्‍वयुद्ध के दौरान लॉस एलामोस प्रयोगशाला के निदेशक थे। चर्चित मैनहटन प्रोजेक्‍ट में उनकी भूमिका के बाद उन्‍हें परमाणु के जनक के रूप में जाना गया । हालंकि ओपेनहाइमर विनाश के लिए आशंकित भी थे। 16 जुलाई 1945 को लॉस एलामोस से लगभग 340 किमी दक्षिण में पहले परमाणु बम के परीक्षण के बाद उनकी आशंका और बढ़ गई और उन्‍हें अपनी गलती का अहसास हुआ। अपने आविष्‍कार के संभावित विनाश‍ के संताप ने उन्‍हें गीता की ओर मोड़ा। उन्‍होंने कहा था, मुझे हिंदू शास्‍त्र भगवद्गीता की पांक्तियां याद आ रही हैं, जब विराट रूप में कृष्‍ण, अर्जुन से कहते हैं, मैं लोगों का नाश करने वाला महाकाल हूं और मैं अधर्म का नाश करने के लिए अवतरित हुआ हूं।

कौन थे जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर (Julius Robert Oppenheimer)

(22 अप्रैल, 1904 – 18 फरवरी, 1967) एक सैद्धान्तिक भौतिकविद् एवं अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्‍वविद्यालय में भौतिकी के प्राध्‍यापक थे जो परमाणु बम के जनक के रूप में अधिक विख्‍यात हैं। दिृतीय विश्‍वयुद्ध के समय परमाणु बम के निर्माण के लिये आरम्‍भ की गयी मैनहट्टन परियोजना के वैज्ञानिक निदेशक थे। न्‍यू मैक्सिको में जब ट्रिनिकी टेस्‍ट हुआ और इनकी टीम ने पहला परमाणु परीक्षण किया तो उनके मुंह से भगवद् गीता का एक श्‍लोक निकल पड़ा।  ओपेनहाइमर मूल रूप से जर्मन थे। उनके पिता अमरीकी चले गए थे। 1939 में नाजी जर्मनी के पोलैंड पर आक्रमण के बाद आंशका जताई गई कि नाजियों ने परमाणु हथियार बनाया तो संपूर्ण मानवता का विनाश हो जाएगा। 1942 में अमरीका ने ओपेनहाइमर के नेतृत्‍व में परमाणु हथियार विकसित करने के लिए मैनहट्टन प्रोजेक्‍ट शुरू किया।

जन्‍म एवं बचपन

जे.रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जन्‍म न्‍यूयॉर्क के शहर में 22 अप्रैल 1904 को एक चित्रकार एला और एक धनी कपड़ा आयातक जूलियस ओपेनहाइमर के यहां हुआ था। जूलियस ओपेनहाइमर 1888 में संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में बिला पैसे, बना स्‍नातक की पढ़ाई और बिना अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के साथ आए थे। उन्‍हें एक कपड़ा कंपनी द्वारा काम पर रखा गया और एक दशक के भीतर ही वह वहां के कार्यकारी बना दिए गए ओपेनहाइमर दोनों गैर-पर्यवेक्षक अशकेनाजी यहूदी थे, उनके पिता का जन्‍म जर्मनी में हुआ था, और उनकी मां जो बाल्‍टीमोर से थी, 1840 के दशक में जर्मनी के प्रवासियों की वंशज थी। वर्ष 1912 में उनका परिवार, 155 रिवरसाइड ड्राइव की 11वीं मंजिल पर एक अपार्टमेंट में चला गया, वेस्‍ट 88वीं स्‍ट्रीट के पास, मैनहट्टन, एक ऐसा क्षेत्र जो आलीशन हवेली और टाउनहाउस के लिए जाना जाता है। उनके कला संग्रह में पाब्‍लो पिकासो और एडौर्ड बुइलार्ड की कृतियां और विन्‍सेंट वैन गॉग की कम से कम तीन मूल पेंटिग शामिल हैं। रॉबर्ट के एक छोटा भाई फ्रैंक थे, जो बाद में एक भौतिक विज्ञानी बने।

गीता को पढ़ने के लिए संस्‍कृत सीखी

यहूवी परिवार में जन्‍मे ओपनहाइमर ने गीता का अध्‍ययन करने के लिए संस्‍कृत सीखी। बताया जाता है कि वे गीता से इतने प्रभावित थे कि गीता की एक प्रति  वे अपने पास रहते थे और दोस्‍तों को भी इसे पढ़ने की सलाह देते थे। इतिहास के जानकर बताते हैं कि उनको अक्‍सर कहते सुना गया कि मैं मृत्‍यु बन गया हूं।

मन की पीड़ा की दर्द निवारक

अमरीकी इतिहासकार जेम्‍स ए हिजिया ने अपने पेपर द गीता ऑफ जे राबर्ट ओपेनहाइमर में लिखा है, ओपेनहाइमर ने गीता का इस्‍तेमाल मन की पीड़ा के लिए दर्द निवारक के रूप में किया था। वे विनाशकारी खोज के पश्‍चात् में अक्‍सर अपराधबोध से परे रखने के लिए गीता का उल्‍लेख करते थे। जिसमें कृष्‍ण ने अर्जुन से कहा, यदि अधर्म के रास्‍ते पर हैं तो सगे संबंधियों पर अस्‍त्र उठाना अनुचित नहीं है। तब जर्मन और जापानियों को मारना इसलिए अनुचित नहीं है, क्‍योंकि यहां की सरकारें दुनिया को जीतने की कोशिश कर रहे हैं।

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