आज की पोस्ट गगनयान के लिए चुने गए नामों अंतरिक्ष यात्री को विंग्स प्रदान किए जाएगें। क्या आपको पता है कि चांद और सूरज के बाद अब भारत अंतरिक्ष में एक और इतिहास रचने की तैयार में जुटा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 27 फरवरी 2024 को तिरूवनंतपुरम के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में एक कार्यक्रम के दौरान Gaganyaan Mission 2024 के लिए चार अंतरिक्ष यात्री को विंग्स दिया है।
गगन यान मिशन क्या है 2024
गगन यान मिशन भारत का पहला हूामन स्पेस मिशन है जो तीन दिन का होगा, इसमें 4 सदस्यों के दल को 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉडयूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा, अगर ये मिशन सफल होता है तो अमेरिका चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गगनयान मिशन के लिए 90.23 अरब रूपए का बजट आवंटित किया गया है।
ऐसे चुने गए चार जांबाजों की प्रक्रिया –
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए सैकड़ो टेस्ट पायलट ने आवेदन किए थे, वायुसेना ने 2019 में बेंगलुरू में इनमें से 12 टेस्ट पायलटों का चयन किया गया है।
1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा भारत के पहले अतंरिक्ष यात्री बने। राकेश शर्मा 21 साल की उम्र में भारतीय वायुसेना से जुड़े थे।
2018 में भारत ने एक कक्षीय वाहन मिशन पर काम करना शुरू किया जिसके बाद में गगनयान नाम दिया गया। इस पर 90 अरब रूपए खर्च होंगे।
आगं पढ़े- Social Media Se Paise Kaise Kamaye : घर बैठे पैसे कमाने का आसान तरीका
ये चार रचेंगे अंतरिक्ष में इतिहास –
प्रशांत बालकृष्णन ग्रुप कैप्टन –
यह केरल के रहने वाले है, प्रशांत बालकृष्णन कैप्टन जी की उम्र(47) यह अपनी पढ़ाई इन्होनें कुवैत में और नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) ग्रेजुएशन किया है।
प्रशांत बालकृष्णन जी ने 1999 में वायुसेना में शामिल हुए और बतौर पायलट वह सुखाई फाइटर प्लेन भी उड़ा चुके है।
अजीत कृष्णन ग्रुप कैप्टन –
यह चेन्नई के रहने वाले हैं, इनका जन्म चेन्नई में हुआ है अजीत कृष्णन जी की उम्र(42) है, इन्होनें अपनी पढ़ाई एनडीए में ग्रेजुएशन कर प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल और सोर्ड ऑफ ऑनर हासिल किया है।
इन्होनें 21 जून 2003 से वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में तैनात हैं। फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर व टेस्ट पायलट भी है।
आगे पढ़े- Mobile Se Affiliate Marketing Kaise Kare : Affiliate Marketing करके घर बैठे पैसे कमाये
अंगद प्रताप ग्रुप कैप्टन –
यह प्रयागराज के मूल निवासी है, कैप्टन की उम्र (42) यह एनडीए से ग्रेजुएशन के बाद 18 दिसंबर 2004 को वायुसेना में शामिल हुए। वह फ्लाइट इंस्ट्रक्टर भी हैं, उन्हें मिग-21,मिग-29, जगुआर,हॉक,डॉर्नियर और एएन-32 उड़ाने का एक्सपीरियंस है।
शुभांशु शुक्ला विंग कमांडर –
यह लखनऊ के रहने वाले हैं, इनका जन्म लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 हुआ है, उन्होंने एनडीए से ग्रेजुएशन किया और 18 दिसंबर 2004 को वायुसेना में तैनात हुए। उन्होंने रूस के युरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग हासिल की है।
पीएम नरेंद्र मोदी जी का कहना –
40 वर्ष बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है इस बार टाइम भी हमारा है,काउंटडाउन और रॉकेट भी चांद तिरंगा फहराकर हमने इतिहास रचा। 2035 तक भारत का अपना स्पेस सेंटर होगा।
आगे पढें- twitter Se Paise Kaise Kamaye 7 आसान तरीके
चरणबध्द कार्यक्रम –
भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) द्वारा Gaganyaan Mission 2024 वाहन के क्रायोजेनिक इंजन की मानव को वहन करने की क्षमता के परीक्षण में सफल पाए जाने की घोषणा के बाद विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र केरल में इन गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की गई।
वर्ष 2024 के अंत तक मिशन की पहली मानव रहित उड़ान गगनयान-1 अंतरिक्ष में भेजने की उम्मीद है परंतु यह परीक्षण हो सके कि यह तकनीकी रूप से कितना तैयार है, इसके बाद तीन सदस्यीय चालक दल के साथ मिशन अगली उड़ान भेजी जाएगी। जो पृथ्वी के 400 किलोमीटर अक्षांश स्थित निचली कक्षा में जाएगी,यह तीन दिन बाद पृथ्वी पर लौट आएगी।
तकनीक पहलू –
ISRO सभी गगनयान मिशन के लिए LVM3 रॉकेट का उपयोग करेगा। पहले इसका नाम GSLV MK-3 था। इसरो का सबसे शाक्तिशाली लॉन्च व्हीकल है,जो 7 बार बिना फेल हुए उड़ान भर चुका है। इस रॉकेट में तरल,ठोस और क्रायोनिक 3 चरण हैं। मानव रेंटिग संबंधी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए इसरो ने LVM3 के सभी घटको का विस्थसित किया है।
14 फरवरी को क्रायोजेनिक इंजन सीई 20 का अंतिम परीक्षण किया गया। सफलतापूर्वक यह टेस्ट पास करने के बाद प्रमाणित हो गया कि यह मिशन मानवों को अतंरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।
क्रू मॉडयूल और बचाव तंत्र –
मानव अतंरिक्ष उड़ान की तैयरियों में अतंरिक्ष में चालक दल के लिए पृथ्वी जैसा वातावरण प्रदान करने के लिए जीवन समर्थन प्रणालियों का विकास,आपतकालीन पलायन के प्रावधान और चालक दल के प्रशिक्षण पुनप्रप्ति और पुर्नवास के लिए चालक दल प्रबधंन पहलुओं को विकसित करना शामिल है ।
गगनयान-1 जैसा मानव रहित मिशन अपने साथ एक दबाव रहित क्रू मॉडयूल लेकर जाएगा। यह वह कैप्यूल है, जिसमें अतंरिक्ष से पृथ्वी के बीच मानव उड़ान के दौरान अंतरिक्ष यात्री बैठे होंगे।
आगे पढ़े- Phonepe Refer And Earn : 100 रूपयें कैशबैक तुरंत पायें
रोबोट व्योममित्र 2024 –
इसरो के मुताबिक 2024 में एक टेस्ट फ्लाइट रोबोट को अंतरिक्ष में ले जाएगी,इसके बाद 2025 में अतंरिक्ष यात्रियों को ले जाया जाएगा। टेस्ट फ्लाइट रोबोट व्योममित्र को ले जाएगी,जो मनुष्यों पर उड़ान के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए सभी मापदंडों को रिकार्ड करेगा, जिससे मानव मिशन में आसानी होगी।
अतंरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण कैसा होता –
जो चार अतंरिक्ष गगनयान मिशन में जाएंगे,उन्होंने फरवरी 2020 से मार्च 2021 के बीच रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेंनिग सेंटर में प्रशिक्षण पूरा किया अभी इनका प्रशिक्षण इसरो के बेंगलूरू स्थित अतंरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केद्रं में चल रहा है उनको लगातार फिटनेस और मनोवैज्ञनिक प्रशिक्षण में भी गुजरना पड़ा है। उम्मीद है कि इनमें से एक अतंरिक्ष यात्री को अमरीकी अतंरिक्ष ऐजेंसी नासा द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
महत्वपूर्ण –
- इसमें से देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के स्तर को बढ़ाने तथा युवाओ को रोजगार के लिए प्रेरित करने में मदद करेगा।
- यह औद्योगिक विकास में सुधार करने में मदद करेगा।
- यह सामजिक लाभों के लिये प्रौद्योगिक के विकास में मदद
- यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
निष्कर्ष – उम्मीद है, कि आपको गगनयान मिशन 2024 वायुसेना के चारों ऐस्ट्रोनॉट को पीएम मोदी ने पहनाए विंग्स के बारें से जुड़ी सारी जानकारी आपको पसंद आयी होगी आप अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें