Bharat ki khoj kisne ki aur kese hui भारत एक प्राचीन देश है जो केवल धार्मिक आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सुन्दरता से भी खूबसूरत है इसलिए अन्य देशो कि नजर भारत में रहती है। न जाने कितने देशो ने भारत को अपनाने की कोशिश की है । प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारम्भिक सभ्यता है जिसका संबंध आर्यो के आगमन से है। आर्यो कि भाषा संस्कृत थी और वैदिक धर्म हुआ करता था जिसे लोग सनातन धर्म के नाम से भी जाना जाता था । बाद में जब भारत में विदेशियों का आगमन हुआ तब उन्हीं के द्वारा इस धर्म का हिन्दू नाम हो गया।
युरोप में मसालों कि मांग
यूरोप देश अरब के लोगों से मसाले खरीदते थे यूरापीय लोग मसाले के बहुत सौकीन हुआ करते थे इसलिए वे अरब के लोगों से मसाले खरीदते थे । अरब के लोग यूरोपीय लोगो को ये नहीं बताते थे कि मसाले का उत्पादन कहा करते है कैसे करते है लेकिन यूरोप इस बात को समझ गये थे कि अरब हमसे कुछ न कुछ छिपा रहा है। यूरोप चाहता था कि वह स्वंम भारत जाकर मसाले लाये लेकिन यूरोप के लोगो को भारत जाने का रास्ता मालूम नहीं था और जो रास्ता पता था वहॉं से जाने में बहुत कठिनाइयॉं दूर और बहुत खर्चीला था इसलिए यूरोप चाहता था कि उसे ऐसा रास्ता का पता मिल जाये जहां पर आसानी से जाया जा सके।
भारत कि खोज कैसे हुई
यूरोप के लोग पूरी दुनिया में व्यापार करता चाहते थे यूरोप के लोगों को भारत में व्यापार करने के लिए यूरोप को समुद्री रास्ता का पता नहीं था लेकिन उस समय अरब के लोग भारत के रास्ते को जानते थे परन्तु अरब ने यूरोप के लोगों को भारत जाने का रास्ता नहीं बताया।
खोज- सन् 1497 में पुर्तकालीन वास्को-डी-गामा ने अपने साथियों के साथ भारत की खोज के लिए निकल पड़ा । सबसे पहले वह अफ्रीका के क्यापुडगोम नामक छोर पर पहुंच गया उसके बाद फिर अफ्रीका के एक राज्य मुस्बा पहुंच गया । और फिर वहां के राजा ने उसकी सहायता की और उसे एक अरब नागरिक दिया जो भारत का रास्ता जानता था।
वास्को–डी-गामा भारत कब आया
वास्को–डी-गामा अफ्रीका से होते हुए सन् 1498 में भारत के कालीकट बंदर गाह पर पहुंचा । वास्को–डी-गामा कि भारत कि खोज का समय लगभग 10-11 महिनों का रहा है। भारत आने के बाद वास्को–डी-गामा ने भारत के स्थानीय राजा से मसाले व्यापार का समझौता किया और वास्को–डी-गामा ने भारत से कई प्रकार के मसाले खरीदे और पुर्तकालाल लौटते समय समुद्री तुफान कि वजह से उसके कई साथी मारे गए थे । पुर्तकाल पहुंचने के बाद वहां उसका स्वागत किया गया।
वास्को–डी-गामा दुबारा भारत आने पर आक्रमण किया
वास्को–डी-गामा समुद्री तट पर यूरोप के व्यापारियों के लिए एक रास्ता बना दिया था। दुबारा भारत आने के बाद कालीकट के राज्य पर आक्रमण कर दिया। और भारत में बहुत लूटपाट की । इसके बाद यूरोप के कई व्यापारी भारत को अपनाने कि कोशिश की और यूरोप के व्यापारियों ने भारत के केरल राज्य के लोगों के धर्म बदलने में भूमिका निभाई ।
भारत में अंग्रेज कैसे आए
यूरोपियों कि वजह से भारत में ब्रिटिशों का आगमन भी हो गया भारत में पहली बार ब्रिटिश सन् 1605 में सूरत में आये थे ब्रिटिशों का भारत में व्यापार करना आसान नहीं था और वे भारतीय लोगों को व्यापार के लिए कई सालों तक मनाते रहे कई सालों मनाने के बाद उन्हें व्यापार कि अनुमति मिल गई थी ईस्स्ट इंडिया कम्पनी के कारण ब्रिटिश लोग सूरत में कारखाना खोला। और इस तरह अंग्रेजों ने भारत पर आना प्रारंभ कर दिया था। और इस प्रकार अंग्रेज धीरे-धीरे कारखाने खोलते गए ।
भारत में अंग्रेजों का कब तक रहा शासन
भारत मे अंग्रेजों का सन 1605 में हुआ था और तब से अंग्रेज आ आना शुरू हो गया और भारत में व्यापार कर के भारत पर कब्जा आपनाया । अंग्रेज भारत पर सन 1605 से 1947 तक लगभग 342 साल राज किया और भारत में ही नहीं बल्कि भारतीय लोगों को कब्जा किया था । सन 1947 में अंग्रेज भारत छोड़ कर चले गए और भारत देश आजाद हो गया अंग्रेजों कि गुलामी से ।